हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत मुहम्मदे मुस्तफ़ा स.ल.व.व. ने यह दुआ बयान फ़रमाई हैं।
اَللّهُمَّ اجْعَلْ صِيامي فيہ صِيامَ الصّائِمينَ وَقِيامي فيِہ قِيامَ القائِمينَ وَنَبِّهْني فيہ عَن نَوْمَة الغافِلينَ وَهَبْ لي جُرمي فيہ يا اِلهَ العالمينَ وَاعْفُ عَنّي يا عافِياً عَنِ المُجرِمين.
अल्लाह हुम्मज अल सियामी फ़ीहि सियामस्साएमीन व क़ियामी फ़ीहि क़ियामल क़ाएमीन व नब्बिह नी फ़ीहि अन नौमतिल ग़ाफ़िलीन व हब ली जुरमी फ़ीहि या इलाहल आलमीन वअफ़ु अन्नी या आफ़ियन अनिल मुजरिमीन (अल बलदुल अमीन, पेज 220, इब्राहिम बिन अली)
ख़ुदाया! हमारे रोज़ों को इस महीने में रोज़ेदारों के रोज़े जैसा क़रार दे, और हमारे क़याम (इबादत) को नमाज़ गुज़ारों जैसा क़रार दे, हमें ग़ाफ़िलों की नींद से जगा दे, आज के दिन हमारे गुनाहों को माफ़ कर दे, ऐ आलमीन के माबूद! ऐ गुनाहगारों को माफ़ करने वाले! हमारे गुनाहों को माफ़ कर दे।